Tuesday, August 10, 2010

'भारत और चीन के बीच सम्बन्ध इस सदी की बड़ी घटना'

विदेश सचिव निरुपमा राव का कहना है कि भारत और चीन के बीच सम्बन्ध इस सदी की बड़ी घटना है.
समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन के कार्यक्रम 'डेविल्स एडवोकेट' में करन थापर को दिए साक्षात्कार में राव ने कहा कि समझदारीपूर्ण वार्ता दोनों देशों को अपने मुद्दों को सामने रखने में मददगार होगी। इससे इन मुद्दों पर जवाबदेही और समझदारी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के संबंध 21वीं सदी की बड़ी घटना होंगे। ये संबंध संवाद पर आधारित होंगे। हमारा इरादा इसे बुद्धिमानी और भरोसे से चलाने का है। इससे हम अपने हितों को हमेशा के लिए सुरक्षित कर रहे हैं.
भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 में युद्ध हो चुका है। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर इस वर्ष के अंत तक 60 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।

Sunday, August 8, 2010

कैमरन के ‘कूटनीतिक वार’ का मतलब

हाल ही में भारत दौरे पर आए ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन उस सच्चाई को बोल गए जिससे पूरी दुनिया वाकिफ है लेकिन कोई इस तरह सरेआम कहने की हिमाकत नहीं करता। अब भारत से बेहतर इसे कौन जानता होगा जो वर्षों से प्रायोजित आतंकवाद की मार झेल रहा है।

बेंगलुरू में कैमरन ने पाकिस्तान को दो टूक शब्दो में कह दिया कि वह आतंकवाद का निर्यात बंद करे। इससे बड़ी बात कि वह अपने इस बयान पर अडिग रहे। यह पहला मौका था जब किसी राष्टाध्यक्ष ने पाकिस्तान को झन्नाटेदार तमाचा जड़ा और फिर इस पर जरा अफसोस नहीं किया। पाकिस्तान में इस तमाचे की गूंज साफ तौर पर सूनी गई।

सवाल यह है कि आखिर कैमरन ने इस सच्चाई को क्यों दहाड़ने की अंदाज में बयां किया। क्या इसे मान लिया जाए कि अब इंग्लैंड की नीति साफ हो चुकी है? इन सवालों के बीच सच यह है कि इंग्लैंड अपनी विदेश नीति में बड़ा बदलाव ला रहा है। उसे इस बात का आभास है कि एशिया और अंतर्राष्टÑीय मंच पर भी भारत के सुर में सुर मिलाना उसके लिए कारगर हो सकता है। क्योंकि भारत के साथ उसके व्यापक हित जुड़े हुए हैं।


कैमरन का बयान भारत के बढ़ते कूटनीतिक रसूख का भी प्रमाण है। भारत हमेशा से यह कहता रहा है कि वह प्रायोजित आतंकवाद का शिकार है। परंतु ज्यादातर देश उस पर कुछ बोलने से परहेज करते रहे हैं। परंतु ब्रिटेन के बदले निजाम ने अपनी स्पष्ट राय जाहिर कर दी है। सवाल यह है कि अमेरिका भी इस कड़वी सच्चाई को सरेआम बयां करेगा?