आखिरकार पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार कर लिया कि उनका देश भारत के खिलाफ लड़ने के लिए आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षित करता था। उनकी सरकार भारत के साथ कश्मीर मुद्दे पर बातचीत चाहती थी इसलिए वह सब कुछ जानते हुए भी इस ओर से आंखें मूंदे रहती थी। पाकिस्तान की सरकार ने उनके खुलासे पर ऐतराज़ जताया है.
जर्मनी की एक पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में मुशर्रफ ने कहा है कि वास्तव में कश्मीर में भारत से लड़ने के लिए आतंकवादी समूह तैयार किए जाते थे। उन्होंने कहा, "सरकार इस ओर से आंखें मूंदे रहती थी क्योंकि वह चाहती थी कि भारत कश्मीर पर चर्चा करे।"
मुशर्रफ ने कहा, "पश्चिम की ओर से कश्मीर मुद्दे की अनदेखी की जा रही थी, जो पाकिस्तान के लिए मुख्य मुद्दा था। हमें उम्मीद थी कि पश्चिमी देश खासतौर पर अमेरिका और जर्मनी जैसे महत्वपूर्ण देश कश्मीर मुद्दे के समाधान में मदद करेंगे। क्या जर्मनी ने ऐसा किया।"
पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रमुख मुशर्रफ ने ही अक्टूबर 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट दिया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जब भी अशांति होती है तो हर कोई सेना को इसके लिए जिम्मेदार मानता है जबकि सैन्य शासन में अशांति दूर हो गई थी।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है जबकि अन्य क्षेत्रों में भी यही हाल है। कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, आतंकवाद बढ़ गया और इस सब के बीच राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति है।